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दुग्गड़ा क्षेत्र में पर्यटन स्थिति पस्त क्यों??

 आशा करता हूँ कि सभी लोग जानते होंगे!राजा दुष्यन्त ओर शाकुन्तला तथा उनके पुत्र भरत के बारे में जिसका उल्लेख महाकवि कालिदास ने अपनी रचना अभिज्ञानशाकुन्तलम् में किया है पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह भरत की जन्मस्थली है तथा यहां पर महर्षि कण्व का आश्रम कर्णाश्रम विद्यमान है। कोटद्वार के समीप होने के कारण यह हमेशा चुनावी माहौल में घोषणा पत्र के पटल पर अपनी जगह सुनिश्चित करता है। लेकिन चुनाव समाप्त होने के बाद कोई इस स्थान की सुध नहीं लेता।ओर यह स्थान जस के तस यूं ही अपनी प्रतिष्ठा के आगमन की प्रतीक्षा में व्याकुल पड़ा है। यंहा प्राकृतिक सुंदरता तथा धार्मिक मान्यता पर्यटनो का आकर्षण का केंद्र हो सकता है,जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ यंहा के स्थानीय जनों की आर्थिकी में भी सुधार आ सकता है।जिससे रोजगार के विभिन्न माध्यम खुलेंगे एवम विश्व पटल पर उत्तराखंड को गौरव प्राप्त हो सकता है  किंतु सरकार को इसकी सुध नही है !! आप लोगो से आग्रह है कि इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगो मे शेयर करे जिससे सरकार कुछ सकारात्मक कदम उठाए। आयुष कुकरेती  (जिज्ञाशु) कर्णाश्रम(भरत की जन्मस्थली)

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कुछ व्यक्तित्व ऐसे भी।